प्रेरणादायक सफलता की कहानी: काफी लोगो का असफल होने का कारन ये है कि वे सफल होने के बाद रुक जाते हैं। याद रखें जब तक आप नहीं चाहते आप असफल नहीं हो सकते। कोई भी तब तक असफल नहीं हो सकता जब तक वह कोशिश करता रहे और तब तक कोशिश करते रहो जब तक सफलता ना मिल जाए। आईए इस बात को एक छोटी सी कहानी के माध्यम से जानते हैं। real life inspirational short stories in hindi
एक ऐसी सच्ची घटना, संघर्ष से सफलता की कहानी
प्रेरणादायक सफलता की कहानी
सोचिये, अगर किसी इंसान को बेहोश करके रेगिस्तान के बीचो-बीच मरने के लिए छोड़ दिया जाए। जहां मीलों दूर तक केवल रेगिस्तान हो, ना पीने के लिए पानी, ना खाने के लिए भोजन, ना आस पास कोई इंसान, ना पेड़, ना पौधे, ना जीब, ना जंतु। सिर्फ मीलों दूर तक रेत ही रेत और 45 डिग्री की चिलचिलाती गर्मी, तो सोचिए! ऐसे में कोई अकेला इंसान जिसके पास गर्म रेत में चलने के लिए पैरों में जूते भी ना हो। वह 71 दिनों तक मौत से संघर्ष करके उस विशाल रेगिस्तान से कैसे जिंदा बाहर आ सकता है। यह कहानी आपको बहुत कुछ सिखाएगी और आपकी जिंदगी की मुसीबतों से लड़ने के लिए आप को मजबूत भी बनाएगी। तो इस कहानी को अंत तक जरूर पढ़ना।
रिकी की कहानी, बहाने नहीं सफलता के रास्ते खोजो इस पर कहानी
तो इस कहानी की शुरुआत होती है 1970 में जब ऑस्ट्रेलिया के विक्टोरिया में, जहां रिकी मेगी यानी कि इस कहानी के हीरो का जन्म हुआ। रिकी का बचपन एक मिडिल क्लास परिवार में जन्मे बच्चे की तरह था। एकदम मस्त लेकिन जब रिकी 14 साल का हुआ तो उसके परिवार की आर्थिक परिस्थितियां खराब होने लगी।
जिसके चलते उसके परिवार ने यह शहर छोड़कर दूसरे शहर जाने का फैसला किया और इसी दौरान उसके पिता की मृत्यु हो गई। जिसके कारण परिवार की जरूरतों को पूरा करने के लिए रिकी अपनी पढ़ाई छोड़ छोटी-मोटी नौकरी करने लगा और इसी तरह छोटी मोटी नौकरियां करते-करते रिकी 35 वर्ष का हो गया।
कामयाबी पर कहानी, यह घटना है 2006 की
अब उसके साथ एक ऐसी घटना होने वाली थी जिसने उसकी जिंदगी बदल दी। यह घटना है 2006 की, जब पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया के पोर्टलैंड शहेर में उसे एक लेटर आया जिसमें उसे सरकारी नौकरी ऑफर की गई। नौकरी पाने के लिए रिकी पूर्वी ऑस्ट्रेलिया से पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया के लम्बे सफर पर निकल गया था। वहा तक पहोचाने के लिए उसे ओस्ट्रेलिया का विशाल रेगिस्थान पार करना था।
रास्ते में विकी ने देखा कि 3 लोगों की कार खराब हो गई है। रिकी ने इंसानियत के नाते उनकी सहायता की और उन्हें अपनी कार में लिफ्ट दे दी। लेकिन बदले में उसे मिला धोखा, उन्होंने रिकी को धोखे से ड्रग्स देकर बेहोश किया और उसकी गाड़ी और उसका सामान सब लूटकर अपने साथ ले गए और यहाँ तक की इन लुटेरों ने रिकी के जूते तक नहीं छोड़े और उसे सुनसान रेगिस्थान में मरने के लिए फेंक दिया।
सुमसान रेगिस्थान, प्रेरणादायक कहानी
जब रिकी को होश आया तो उसने देखा कि वह रेगिस्तान में कहीं लाश की तरह पड़ा हुआ था। दूर-दूर तक केवल रेत ही रेत और चिलचिलाती धूप ऐसी मुश्किल सिचुएशन में रेकी के पास केवल दो ही रास्ते थे। कि, या तो वह हिम्मत हार कर बैठ जाता और मौत का इंतजार करता, या फिर उस मरुस्थल से बाहर निकलने की कोशिश करता। जो लगभग असंभव था। लेकिन रिकी ने अपनी सारी हिम्मत बटोरी और सोचा कि एक ही दिशा में चलता रहूंगा तो शायद बाहर निकल सकता हूं और यह फैसला कर वह एक ही दिशा में चलने लगा।
फिर उसे एक रेत का पहाड़ दिखाई दिया और वह उस पर चढ़ा तो उसे एक छोटी सी बिना पानी की मौसमी नदी दिखाई दी। रिकी ने उसी नदी के साथ साथ चलने का फैसला किया, सफर बहुत ही कठिन था चारों तरफ केवल तपती हुई रेत दिन में 40 से 50 डिग्री का तापमान, रात को 10 डिग्री से भी नीचे चला जाता था।
बिना पानी, बिना खाने के दिन पर दिन गुजरते गए। अपनी भूख मिटाने और जिंदा रहने के लिए उसे रास्ते में जो भी मिला साप, मेंडक, चींटिया, छिपकलीया या फिर झाड़ियों की जड़े तक भी वह खा लेता।
हिम्मती विकी
इस सफर के दौरान वो कई बार गिरा, कई बार बेहोश हुआ और गंभीर रूप से बीमार भी हुआ। लेकिन हर बार वह अपनी हिम्मत बटोर कर फिर उठ जाता और फिर चलने लगता। इतनी विषम परिस्थितियों में बस एक ही चीज रिकी के पक्ष में थी और वह बरसात का मौसम, जिसकी वजह से कभी कभी होने वाली हल्की-फुल्की बरसात की वजह से छोटे-छोटे गड्ढों में इकट्ठा होने वाला बरसात का थोड़ा सा पानी भी रिकी के लिए किसी जीवन अमृत से कम नहीं था। लेकिन फिर भी रिकी को कई बार पानी ना मिलने पर जिंदा रहने के लिए अपना पेशाब पीना पड़ा।
जैसे जैसे दिन गुजरते गए हालात खराब होते गए। उसके शरीर का वजन तेजी से कम होता गया। शरीर कंकाल की तरह दिखने लगा और उसका शरीर इतना कमजोर हो गया की वो दिन में कई बार बेहोश हो जाता। ऐसे में कई बार उसे आत्महत्या का विचार भी आया।
लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी और आखरी सास तक हिम्मत करने का संकल्प किया। और इसी तरह 71 दिनों तक मौत से लड़ते हुए जीवन बचाने का संघर्ष करता रहा।
रिकी की आशा, प्रेरणादायक सफलता की कहानी
हर दिन इस आशा के साथ की आज मै इस मरुस्थल से बहार निकल जाऊंगा। पर 72 वे दिन वे चलते चलते Birrindudu Cattle Station के पास पहोच गया जहा मार्कक्लिफर्ट नाम के व्यक्ति की नजर उस पर पड़ी।
रिकी को देखकर मार्च को लगा कि जैसे कोई कंकाल भटक रहा है। क्योंकि 6 फुट के 106 किलो वजन के रिकी का वजन मात्र 48 किलो रह गया था। रिकी ने अपनी पूरी आपबीती उस इंसान को बताई और बेहोश हो गया।
अब वहा से उस आदमी द्वारा रिकी को हेलीकॉप्टर से हॉस्पिटल ले जाया गया। जहां 6 दिन इलाज के बाद उसे छुट्टी दे दी गई। रिकी का इस तरह के बियाबान रेगिस्तान से जिंदा बाहर निकलना हर किसी के लिए कोई चमत्कार से कम नहीं था।
रिकी ने इस घटना पर लेफ्ट फॉर डेड नाम की एक किताब भी लिखी। जिसे लोगों ने बेहद पसंद किया,
यह कहानी हमें सिखाती है, संघर्ष की बातें
कि हालातों पर किसी का भी नियंत्रण नहीं होता, लाइफ है तो छोटी-मोटी समस्याएं हमेशा रहेगी। बचपन में रिकी के पिता की मौत ने उसे हर परिस्थिति में संघर्ष करना सिखाया और उसके इसी दृष्टिकोण की वजह से ऐसे हालातों में भी संघर्ष करके जिंदा रहा। जहा कोई भी आम इंसान शायद 4 से 5 दिन में ही उम्मीद खो देता और हार मान लेता।
इस घटना के बाद रिकी का जिंदगी को देखने का नजरिया एकदम बदल गया और यकीनन रिकी की इस कहानी से थोड़ा सा नजरिया आपका भी बदला होगा। तो दोस्तों हालात कैसे भी हो यदि आप विश्वास का दामन थामे रखते हैं और अपना हंड्रेड परसेंट देते रहते हैं, तो हालात भी एक ना एक दिन हार मान जाते हैं और आपकी जीत निश्चित होती हैं।
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