राजा की ज्ञान की कहानी:एक राजा था। वो राजा बड़ा खुशहाल था। उसका राज्य बहोत ही बड़ा और वैभवशाली था। वो राजा उसके पास सबकुछ था लेकिन एक चीज नहीं थी, सिर्फ एक ही चीज की कमी यह थी की राजा को कोई संतान नहीं थी।
राजा की ज्ञान की कहानी, राजा की अनोखी परख की कहानी,
इसलिए उस राजा का मन कभी – कभी दुखी हो जाता था। तब रानी कहेती थी तुम दुखी न हो राजा के लिए प्रजा ही उसकी संतान है। इन प्रजा में से किसी को चुन कर के राज गद्दी पर बिठा देना। क्या टेनसन है। राजा को जब कोई संतान नहीं है। तो अब क्या दुखी होना। रानी समझदार थी क्योकि वो अच्छे अच्छे पुस्तकों पढ़ती थी और वो हररोज प्रवचन सुनती थी।
वह राजा भी था समझदार लेकिन सत्संग कम सुनता था। क्योकि राज्य की देखरेख में उलझ बुलझ रहेता था। राजा ने अपने राज्य में एलान किया, सूचना प्रसारित की – की मुझे अपने राज्य की प्रजा में से किसीको राजा बनाना है। जो राजा बनना चाहे वो कल सुबह राज महल में इकठ्ठा हो जाए। लेकिन उसमे गुणवत्ता होनी चाहिए। स्किल होना चाहिए। कुछ कलाए होनी चाहिए। यानि की प्रजा के लिए सही होना चाहिए।
इतना सुनते ही जितने लोग होशियार थे, चतुर थे, कलाकार थे, राजा बनने ले लिए सुबह सुबह स्नान करके राजमहल की और नए कपडे पहनकर पहोचने लगे। बड़ी भीड़ इकठ्ठी होने लग गई।
गरीब लडके की राजा बनने की इच्छा
राजा का एलान सुनकर राज्य का एक गरीब आदमी का लड़का अपने पिता से कहेता है की मै भी ट्राय करू क्या पिताजी? राजा बनने के लिए। क्योकि राजा के कोई संतान नहीं है। इसलिए मै थोडा ट्राय मरता हु हो सके अपना चांस मिल जावे।
तो बाप ने कहा- ‘की इतने बुरे और फटे हुए कपडे पहनकर वहा तू जाएगा। गरीब आदमी’ तुझे कौन राजा बनाएगा
राजा की ज्ञान की कहानी
बेटा बोला- पिताजी कुछ इंतजाम करो।
सर्दी का महिना था। उन्होंने पेन्ट, शर्ट, कोट पिताजी ने किसी से उधर लेकर बढ़िया ड्रेस तुरंत ही बनवाया अपने बेटे के लिए।
और बोला- बेटा ले ये कपडे इसको कल सुबह पहनके जाना तुम। लड़का बहोत खुश हो गया ऐसी ड्रेस कभी नहीं पहेनी थी। उसने सोचा राजा बनने से पहेले ही राजा जैसी ड्रेस मिल गई। क्या किस्मत है। राजा बनू न बनू लेकिन ड्रेस त राजा की ही है। इस सोचमे वह बहोत ही आनंदित हो गया।
और सुभह जब हुई तब वो भी चला खुश होकर महेल की तरफ। उस लडके ने रस्ते में देखा एक चौराहे पे कोई भिखारी बैठा था। और ठंडी से ठिठुर रहा था। भूखा भी था। तो उस लडके के पास में एक फल था, जो की राजा को देने के लिए उनके पिता ने दिया था उसे हाथमे ही ले जा रहा था। भिखारी की ऐसी हालत देखकर वो लड़का तुरंत ही वो फल उस भिखारी को दे दिया और कहा की खा लों बाबा! भिखारी कांप रहा था ठंडी की वजह से यह देखकर उस लडके ने अपना कोट उतारकर उसको पहनने के लिए दे दिया। पेन्ट उतारकर पहेना दिया, जूते भी पहेना दिये,
अब वो नंगे पाँव बनियान पहनकर और सिर्फ छोटी सी चड्डी पहनकर के राजदरबार में राजा बनने के लिए पहोचा। फिर से फर्टिचर बनकर पहोचा। जैसा का तैसा ही हो गया। वहा जब पहोचा तब वहा बहोत भीड़ बनी थी। राजा बनने के लिए भीड़ इकठ्ठी हुई है लेकिन राजा साहब अभी तक नहीं आये थे। बस आने ही वाले थे। और थोड़ी ही देर में राजाजी पधारे और राजगद्दी पर बैठ गए।
गरीब लडके की मुझवन
तो उस गरीब लड़का भि राजा बनने आये हुए नवयुवको में से बड़ी मुश्किल से राजाजी को देखने आगे गया तब देखा की ये राजा साहब है? उस लडके ने देखा की राजा साहब के बदन पे मेरा ही कोट है, वही पेन्ट है, और वही जूते है। लडके ने मन ही मन सोचा यह आदमी तो भिखारी बन कर बैठा था। वही राजा कैसे हो सकता है।
लडके से रहा नहीं गया और जोर से बोला – क्या भीख मांग रहे थे वही है आप?
राजा ने कहा- हा में वहीं हु,
लड़का बोला – आप ही राजा है क्या? की कोई और राजा है।
राजाजी बोले – नहीं मै ही राजा हु,
लड़का बड़े अचम्बे में पड़ गया और सोचने लगा ये कैसा हो गया। इतने में ही राजाजी अपनी भाषा में बोलके सबको शांत किया और बोले की
मेरी गद्दी का अधिकारी ये चड्डी पहेना हुआ बालक बनेगा। जिसकी उम्र इक्कीस साल है, जिसके दिल में इतनी दया है, करुना है, सेवा की भावना है,और दूसरो की पीड़ा को सह नहीं सकता है, वही इस प्रजा का पालन कर सकता है, मेरी इस राजगद्दी पर मै इसको बिराजमान करता हु। राजा ने उस लडके आगे बुलवाकर तिल्लक लगा दिया और उसको राजा बना दिया। और राजगद्दी पर बिराजमान कर दिया।
सारा राजदरबार देखता ही रह गया,
तब उस लडके ने कहा- राजाजी आप मुझे राजा बनाया लेकिन ये सब इकठ्ठे ये इसका क्या?
राजाजी बोले – ये सब राजा बनने के लिए योग्य नहीं है। क्योकि सिर्फ तुमको ही दूसरो की पीड़ा दिखाई देती है, दूसरो का दूख और पीड़ा तुम्हारा दुःख है इसलिए तुम राजा बनने के योग्य हो। और राजा बोले जब में भिखारी बन कर रस्ते में बैठा था तब उन्होंने मेरी तरफ देखा भी नहीं इसका मतलब यह है की यहाँ आये हुए नौजवानों में दया है ही नहीं तो मै इनमे से कैसे राजा बना सकता हु।
परोपकार सबसे बड़ा धर्म होता है, जो पर पीड़ा को अपनी पीड़ा समझ लेता है उसकी मंझिल उसको मिल जाती है वो गरीब का लड़का राजा बन गया और जो बड़े बड़े धनवान लडके आये थे। अच्छी अच्छी पोशाक पहनकर बड़े ही शर्मिदा होकर वापस जाने लगे।
इसलिए दूसरो की पीड़ा को दूर करना, दूसरो को सहयोग करना, उनके कष्ट को मिटाना , तुम जो मनमे सोचते हो वो सब पूरा हो जाएगा। गुरु सेवा करना उनकी आशीर्वाद लेना और परोपकार करना।
सबसे बड़ा परोपकार यह है की मानव जाती को अच्छे संस्कार देना, अच्छे विचार देना, जीवन जीने की कला सिखाना, और बुरइयो छुड़वाना और ये सब अच्छे पुस्तकों और गुरु सानिध्य से संभव है, इसलिए गुरुदेव का प्रचार करना ये बहोत बड़ा परोपकार है।
राजा की ज्ञान की कहानी
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