संत और नाग की कहानी: एक समय की बात है किसी गाव में एक ब्राह्मण अपने परिवार के साथ रहेता था। उनका परिवार में उनकी पत्नी और एक पुत्र था वह बहुत गरीब थे उनके पास कभी कभी खाने को भी नहीं होता था।
ब्राह्मण की पत्नी बहोत दुष्ट और चालाक थी। इसलिए वह रोज ब्राह्मण को भिक्षा मांगने जाने को कहती थी। पर ब्राह्मण उसकी एक नहीं सुनता था और घर में राम नाम जाप करता रहता।
संत और नाग की कहानी
पत्नी के रोज रोज लज्जित करने पर ब्राह्मण एक दिन सुबह-सुबह उठा और अपने पोती पतरा उठाया और दुसरे गाव में चल दिया। चलते चलते वह घने जंगल में पंहुचा और अँधेरा हो गया वह वहा एक बड़ा सा पीपल के पेड़ के निचे बैठ गया और राम नाम जपने लगा।
सुबह होने पर जब उठा तो पास के सरोवर पर स्नान करके वह आगे चला और दुसरे गाव में पंहुचा गाव वाले उस से ना तो कोई कथा सुनना चाहते थे, और ना ही कोई उसे भिक्षा दे रहे थे। वह ब्राह्मण दुखी होकर घूम फिर कर फिर उसी पीपल के पेड़ के निचे आकर बैठ गया।
पीपल की जड़ में विशाल सांप का बसेरा
वह पीपल का पेड़ बहुत विशाल था। उस पेड़ की जड़ में एक विशाल काला सांप रहता था। उस ब्राह्मण ने सोचा की मेरी कथा तो कोई नहीं सुनता यह कथा में पीपल के पेड़ को ही सुना देता हु र अपनी कथा सुनाने लगा। कथा पूर्ण होने पर पेड़ के निचे से एक काला नाग निकला और उस ब्राह्मण को एक स्वर्ण मुद्रा देते हुए बोला- तुम रोज यु ही यहाँ आकर मुझे कथा सुनाया करो में रोज तुम्हे सवर्ण मुद्रा दूंगा। ब्राह्मण यह बात मान ली और ना यह बात तुम किसी को भी मत बताना तुम्हारे सब दुःख दूर हो जाएगे।
ब्राह्मण रोज ऐसा ही करता सुबह उठकर नहा धोकर अपनी पोती पतरा लेके वह पीपल के पेड़ के निचे पहुच जाता और वहा बैठकर कथा सुनाता, कथा पूर्ण होने पर नाग सोने की मुद्रा भेट करता।
देखते ही देखते ब्राह्मण धनिक हो गया। पुरे गाव में यह चर्चा होने लगी की ब्राह्मण की दशा कैसे सुधर गई। यह जरुर कोई गलत काम करता होंगा। ब्राह्मण को लोगो की बातो से कोई फर्क नहीं पड़ता था। वह नित्य अपना यही कार्य करता रहता था।
एक दिन गाव की कुछ औरते ब्राह्मणी के पास गई और उससे पूछने लगी की आपके पती इतने धनवान कैसे हो गए। वह रोज कहा जाते है। और रोज उनकी कथा कौन सुनता है? औरतो की बात सुनकर ब्राह्मणी के मन में शंका आ गई। उसने एक दिन अपने पती से पूछा की आपको ये धन कहा से मिलता है। मुझे भी बताइए,
ब्राह्मण बोला- तुम्हे इससे क्या मतलब है। ऐसा कहकर ब्राह्मण ब्राह्मणी की बात टाल दी।
ब्राह्मण की पत्नी के मन में लालच का आना
कुछ दिनों तक उसे टालता रहा पर एक दिन ब्राह्मणी ने ब्राह्मण को मजबूर कर दिया। ब्राह्मण मजबूर होकर उसने अपनी पत्नी को नाग की सारी बात बता दी जिस वजह से उसकी पत्नी के के मन में लालच आ गया और ब्राह्मण के खाने में नशे की दवा मिलाकर उसे खिला दिया और अपने बेटे से बोली बेटा उस पीपल के पेड़ पर जाओ और नाग को मार कर सारी संपति ले आओ।
ब्राह्मण का लड़का अपने पिता का पोथी पतरा लेकर वहा गया और पीपल के पेड़ के आगे बैठकर कथा सुनाने लगा कथा पूरी होने पर वह नाग बाहर आया और उसको स्वर्ण मुद्रा देने लगा तभी ब्राह्मण के बेटे ने कुल्हाड़ी से नाग पर वार कर दिया। जिससे नाग की पूंछ कट गई। और नाग भी पलट कर लडके के पैर में डस दिया। जिससे लडके की मौत हो गई।
इधर जब ब्राह्मण उठा तो उसने देखा की उसके पोती पतरा गायब है। वह समझ गया की कुछ गड़बड़ है। वह जल्दी से पीपल के पेड़ के पास गया तो देखता है की उसका लड़का वहा मरा पड़ा हुआ है।
नाग की पूंछ का कटना
ब्राह्मण को देखकर नाग बाहर आया और कहा ब्राह्मण मैंने तुम्हे कहा था की स्वर्ण मुद्रा की बात तुम किसी से नहीं कहोंगे! और तुमने बता दी, अब तुम यहाँ से चले जाओ तुम्हे तुम्हारे पुत्र का दुःख है और मुझे मेरी पूंछ के कटने का दुःख है। मै तुम्हे श्राप देता हु की तुम्हारी जो संपति मेरे द्वारा बनी थी वह सब नष्ट हो जायेंगी।
ब्राह्मण नाग देवता से मुख से यह सुनकर सर पिटता रह गया और रोता बिलकता अपने पुत्र का शव लेकर वहा से चला गया। घर जाकर अपनी पत्नी को बोला- देखो तुम्हारे लालच की वजह से हमने अपना एकलौता पुत्र गवा दिया और हमारी सारी संपति नष्ट हो गई। ब्राह्मणी भी रोती रही।
संत और नाग की कहानी
कहानी का वेल्यु: दोस्तों लालच एक दलदल है। जो व्यक्ति को विनाश की और अग्रसर कर देता है तो दोस्तों कैसी लगी आपको आज की हमारी कहानी comment में हमें जरुर बताना,
इन्हें भी पढ़े,,,
This was really really an amazing article sir.
AlsoCheckOut