alibaba chalis chor kahani-अलीबाबा और चालीस चोर

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अलीबाबा की कहानी

 

अलीबाबा और चालीस चोर

फारस के एक शहर में अलीबाबा नाम का एक आदमी रहता था। वह एक गरीब लकड़हारा था, और वह अपनी पत्नी और बच्चों को खिलाने के लिए हर दिन संघर्ष करता था। उसकी एक ही तमन्ना थी, वो कभी शहर में किसी दुकान का मालिक होकर, अपने पड़ोसियों को सामान बैंचना चाहता था, और अपने परिवार के लिए भरपूर कमाई करना चाहता था।

एक दिन अली बाबा जंगल में लकड़ी काट रहा था। उसने घोड़ों की एक टुकड़ी पर कई लोगों को आते हुए देखा। अली बाबा को वे आदमी डाकू लगे, इसलिए वो एक पेड़ पर चढ़कर छिप गया।

अली बाबा ने 40 लोगों को गिना। उसने सोचा कि क्या यह उन्हीं चालीस चोरों की टोली थी, जिसके बारे में उसने इतना सुना था. पूरे फारस में लोग उन खूखार लुटेरों से डरते थे।

गुप्त खजाना-alibaba chalis chor kahani

चोरों का नेता अपने घोड़े से उतरकर झाड़ी के पास एक बड़ी चट्टान की दीवार के पास गया। उस शक्तिशाली व्यक्ति ने अपना मुंह दीवार के सामने किया। फिर अली बाबा ने उसे स्पष्ट चिल्लाते हुए सुना, “खुल जा सिमसिम!”  तब चट्टान में एक दरवाजा खुला! वो दरवाज़ा एक गुप्त गुफा में जाता था। चोरों के नेता ने अंदर कदम रखा, और फिर दूसरे लुटेरे भी उसके पीछे-पीछे गए।

अली बाबा तब तक इंतजार करता रहा जब तक चोर गुफा से बाहर नहीं आए। फिर चोरों के नेता ने कहा, “बंद, सिमसिम!” और दरवाज़ा बंद हो गया। उसके बाद चोर वहां से चले गए।

जब चोरों के चले जाने का उसे पक्का यकीन हो गया तब अली बाबा चट्टान की ओर बढ़ा और चिल्लाया, “खुल जा सिमसिम!” और फिर उनके लिए भी दरवाजा बिल्कुल उसी चमत्कारी रूप से खुला जैसे वो चोरों के कप्तान के लिए खुला था। अली बाबा दहलीज से गुजरने के बाद एक बड़े कमरे में पहुंचे जिसका चप्पा-चप्पा कीमती सामानों से भरा हुआ था. वहां सोने, चांदी और गहनों का इतना बड़ा भंडार था कि अली बाबा की आँखें उनकी चमक से चौंधा गयीं।

उन्हें डर था कि कहीं लुटेरे जल्द ही वापिस न लौट आएं। फिर अली बाबा ने जल्दी से उतना सोना इकट्ठा किया जितना वो ले जा सकते थे। बाहर निकलने के बाद अली बाबा ने जल्दबाजी में कहा, “बंद, सिमसिम!” और फिर गुफा का दरवाज़ा बंद हो गया।

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अलीबाबा का सिक्का गिर गया था

अली बाबा ने ध्यान नहीं दिया पर गुप्त द्वार को ढंकने वाली झाड़ी के पास उनकी जेब से एक सोने का सिक्का गिर गया। अली बाबा खुशनसीब थे कि चोरों का उस दिन, उसके अगले दिन, और फिर कई दिनों और हफ्तों तक उस सिक्के की तरफ ध्यान ही नहीं गया।

फिर एक दिन सूरज की रोशनी में चोरों के नेता ने सिक्के को झिलमिलाते हुए देखा। उसे बहुत गुस्सा आया।

“तुम लोगों ने इसे यहाँ कैसे गिरा दिया. इससे हमारे छिपने की जगह उजागर होने का खतरा है!” सरगना अपने 39 लुटेरों पर चिल्लाया।

“लेकिन, महाशय,” चोरों ने कहा, “हम ऐसी गंभीर गलती की सजा अच्छी तरह जानते हैं। हम में से किसी ने भी इस सोने के सिक्के को यहाँ नहीं गिराया है।”

“इसका मतलब है किसी को हमारे गुप्त स्थान का पता चल चुका है,” चोरों के कप्तान ने घुर्राते हुए कहा. फिर कप्तान चोरों के सामने कुछ देर तक उत्सुकतावश चहलकदमी करता रहा। फिर उसने कहा, “हमें मालूम करना होगा कि शहर में कौन नया अमीर है। हमें उस आदमी और उसके परिवार का खत्म करना होगा।”

अब तक अली बाबा ने अपनी वो दुकान को खोल दी थी जिसका उन्होंने जिंदगी भर सपना देखा था। वो एक ईमानदार और उदार दुकान मालिक था। वो खुश थे अब उनके परिवार के पास पर्याप्त धन था, और हर पड़ोसी उनका अच्छा दोस्त था।

मोरगियाना नामक एक चतुर सहायिका

अली बाबा ने मोरगियाना नामक एक सहायिका को दुकान के काम के लिए रखा। मोरगियाना बहुत चतुर और सुंदर युवती थी। उसने दुकान के काम में बहुत मज़ा आता था। और साथ में मोरगियाना, अली बाबा और उनके परिवार की भी बहुत देखभाल करती थी।

एक दिन दुकान पर एक अजनबी आया। उसने मोरगियाना से दुकान के मालिक अली बाबा के बारे में कई सवाल पूछे। अजनबी के उन अजीब सवालों ने मोरगियाना को चिंतित कर दिया। उसके बाद से उसने दुकान पर चौकस नजर रखने की कसम खाई।

वो अजनबी वास्तव में एक चोर था। वो चोर, बाद में अपने कप्तान को रिपोर्ट करने के लिए लुटेरों की गुफा में वापिस लौटा। “कप्तान, उस आदमी का नाम अली बाबा है,” चोर ने कहा। “वह शहर में अपनी नई दुकान के पीछे ही रहता है। कुछ हफ्ते पहले तक वो एक गरीब लकड़हारा था।”

“रात में वहाँ वापस जाकर देखो,” कप्तान ने आदेश दिया। “इस सफेद चाक से उसके घर पर निशान लगाना। बाद में मैं 20 लोगों के साथ उस घर जाऊंगा और उसे खत्म कर दूंगा।”

जैसा कि उसे बताया गया था, चोर अली बाबा के घर पर निशान लगाने के लिए अँधेरे में गया। उसे क्या पता था कि होशियार मोरगियाना ने उसे पहले ही देख लिया था। जैसा कि चोर ने दरवाजे पर निशान बनाया, मोरगियाना ने भी सफेद चाक लेकर बाकी सभी दरवाजों पर उसे तरह के निशान बनाए।

उस रात जब कप्तान अपने 20 चोरों के साथ वहां पहुंचा तो उसने हर दरवाज़े पर वही निशान लगा पाया। उन्हें समझ में नहीं आया कि वे किस घर पर हमला करें, इसलिए वे शर्म से सिर झुककर वहां से वापिस गए।

कप्तान ने नाराज होकर पूछा, “यह ज़रूरी काम कौन करेगा?”

एक बहादुर चोर आगे बढ़ा।

“देखो, इस लाल चाक को,” कप्तान ने कहा। “तुम दरवाजे पर निशान लगाना, और फिर मैं 30 चोरों के साथ अली बाबा के घर पर धावा बोलूंगा।”

चोर को जैसा बताया गया था, उसने बिल्कुल वैसा किया, लेकिन फिर से मोरगियाना ने कप्तान और उसके 30 चोरों पर अपनी चाल चली।

फिर कप्तान ने अली बाबा के खिलाफ अपनी सारी शक्ति का उपयोग करने का फैसला किया। उसने चालीस चोरों को एक साथ इकट्ठा किया और एक योजना बनाई। कप्तान, खुद एक तेल व्यापारी के रूप में अली बाबा की दुकान पर जायेगा। उसके पास 39 खच्चरों की एक टोली होगी। हरेक खच्चर पर एक बैरल लदा होगा। चोर, बैरल के अंदर छिपे होंगे और अपने कप्तान के इशारे का इंतजार करेंगे। यह एक बड़ी शानदार योजना थी।

झूठ बोला। chalis chor kahani

उस शाम चोर अली बाबा की दुकान पर पहुंचे। “मैं कल बाजार में बेचने के लिए कुछ तेल लाया हूँ,” कप्तान ने झूठ बोला। “पर आज रात मुझे रहने के लिए जगह चाहिए और मेरे पास बहुत माल है। क्या आप एक रात मुझे अपने यहाँ रहने देंगे?”

अली बाबा हमेशा से उदार थे। “बेशक आप यहाँ रह सकते हैं,” उन्होंने जवाब दिया। “माल को आप पीछे यार्ड में रख दें। वहां खच्चरों के लिए घास भी है। फिर आपरात के खाने के लिए मेरे घर पधारें।”

यार्ड में, कप्तान अपने आदमियों के कानों में फसफसाया, “मेरे इशारे की प्रतीक्षा करना।

फिर, अपने-अपने बैरल छोड़कर घर पर हमला करना।” मोरगियाना ने अली बाबा के परिवार की मेहमान को खिलाने में मदद की। मोरगियाना को यह कुछ अजीब लगा कि कोई व्यापारी बाजार के लिए इतनी जल्दी आएगा। लेकिन उसे तेल व्यापारी का व्यवहार बहुत विनम लगा।

घर में सब लोगों के सोने चले जाने के बाद, मोरगियाना ने सफाई ख़त्म की। तभी उसके लैंप में तेल ख़त्म हो गया। मोरगियाना को लगा उसे अंधेरे में ही सफाई पूरी करनी होगी पर तभी उसे यार्ड में तेल के बैरल की याद आई।

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आवाज फुसफुसाई

वह एक बैरल के पास गई। एक आवाज फुसफुसाई, “क्या समय हो गया है?” मोरगियाना को कुछ खतरे का आभास हुआ। उसने जवाब दिया, “अभी नहीं, लेकिन जल्द ही।”

फिर, मोरगियाना ने हरेक बैरल के आसपासक्छ घास इकट्ठा की। मोरीला ने एक मशाल से घास को जलाया। 39 कायर चोर धुएं के कारण खांसने लगे। वे अपने-अपने बैरल से बाहर निकले और जलने से बचने के लिए भाग गए।

कुछ देर बाद चोरों के कप्तान ने अपना संकेत दिया, लेकिन कोई भी चोर आगे नहीं आया। कप्तान को फिर से कुछ गलत होने का एहसास हुआ। उसके बाद कप्तान अपने 39 लुटेरे चोरों को खोजने के लिए गुफा में लौटा। कप्तान ने अब अपने ही दम पर बदला लेने का फैसला लिया. अब उसे अपनी पूरी चतुराई का इस्तेमाल करना होगा। इस काम में समय भी लगेगा।

कोगीया हसन एक बहुरूपी चोर

फिर कप्तान ने एक दुकान के मालिक होने का भेष बनाया और वो शहर की एक सराय में रहने लगा। उसने अली बाबा की दुकान के सामने वाली सड़क पर अपनी एक दुकान खोली। कप्तान कई महीनों तक वहां कोगिया हसन के रूप में रहा।

कुछ दिनों के बाद अली बाबा ने नई दुकान के मालिक को रात के खाने के लिए आमंत्रित किया। कोगिया हसन ने निमंत्रण विनम्रतापूर्वक स्वीकार किया और वो भेंट के लिए बढ़िया सामान की एक टोकरी लाया। अली बाबा और उनके परिवार से मिलने के बाद वो मुस्कुराया।

विनम दिखने के बावजूद कोगिया हसन ने अपने लबादे में एक खंजर छिपाया था। खंजर, अली बाबा और उनके बेटे को मारने के लिए था।

मोरगियाना ने पहले ही खंजर देख लिया। वो यह भी पहचान गई कि वो दुकानदार वही तेल व्यापारी था जिसने अली बाबा के परिवार को धमकी दी थी। मोरगियाना ने जल्दी से एक नई योजना बनाई। उसने लंबे, बहने वाले स्कार्फ पहने, फिर उसने मेहमान के लिए नृत्य करने के लिए भोजन कक्ष में प्रवेश किया।

अपनी सतर्कता से मोगरियाना नाची

मोरगियाना, कोगिया हसन के करीब जाकर नाची। पीछे से जाकर मोरगियाना ने दुपट्टे को हल्के से कप्तान की बाहों में लपेटा और फिर दुपट्टे को जोर से खींचा। उसके बाद मेहमान हिल नहीं सका।

 “तुम यह क्या कर रही हो?” अली बाबा चिल्लाए। “वो आदमी हमारा मेहमान है।” “वो आपका दुश्मन है,” मोरगियाना ने कहा. “उसके पास एक खंजर है!”

तभी अली बाबा के बेटे ने खंजर जब्त कर लिया, और चोरों के कप्तान को सीधे जेल भेजा।

अली बाबा ने कहा, “तुमने मेरी जान बचाई है। कृपया तुम मेरे बेटे से शादी करो और हमारे परिवार का नाम रौशन करो।”

मोरगियाना ने अपनी सहमति दी और फिर सबने शानदार शादी का जश्न मनाया।

निष्ठा- alibaba chalis chor kahani

अली बाबा के लिए कम करने वाली मोरगियाना बहुत वफादार थी। उसने बार-बार अलीबाबा और उसके परिवार की मदद की, हालाकि वो उनके परिवार की सदस्य नहीं थी। जिन लोगो ने हमेशा उसके साथ दया का व्यवहार किया था वो उनकी पूरी सहायता करना चाहती थी। अलीबाबा ने हमेशा मोरगियाना को अपने परिवार का सदस्य माना, ओर बदले में मोरगियाना उनके प्रति वफादार रही।

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