farmer and cow story in hindi, किसान और गाय की कहानी

दोस्तों यहाँ पे हमने farmer and cow story, दी है, किसान और गाय की कहानी , इस कहानी में बीमार गाय के बारे में बताया गया है मोरल farmer and cow story

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farmer and cow story किसान और गाय की कहानी:

Farmer  and Cow Hindi Kahani

एक समय की बात है एक छोटे से गाव में एक किसान रहेता था। उस किसान का नाम था रामलाल। वह खुद अपने खेती बड़ी करके फसल उगाता था। और इसने बहोत सारे पशु भी पाल रखे थे, जैसे की मुर्गिया, सूअर, बैल, और एक बड़ी सी गाय। इन सभी पशुओ में घर्मपाल जी गाय बहोत पसंद थी।

क्योकि गाय हररोज बहोत सारा दूध देती थी, इसलिए वह गाय को बहोत प्रेम करता था। रामलाल की सबसे ज्यादा आय का स्त्रोत गाय का दूध से ही होता था। इसलिए वह चाहता था की गाय हंमेश के लिए ऐसे ही दूध देती रहे।

एक दिन रामलाल अपने खेत में बैलो को जोत के हल चला रहा था, तब उसका बेटा घर से दौड़ता हुआ खेत में आया और पिता के पास जाकर बोला – पिताजी! पिताजी चलो जल्दी घर माँ ने आपको बुलाने के लिए मुझे भेजा है। रामलाल बोले- क्या हुआ बेटा? बेटा बोला – माँ ने यह कहा है की हमारी गाय दूध नहीं दे रही है और इधर उधर घूम रही है। और अजीब अजीब आवाज निकाल रही है।

बेटे की बात सुनकर किसान और बेटा दोनों झट से दौड़ते हुए घर गए, तब देखा की गाय बहुत बीमार लग रही थी, किसान की पत्नी ने दूध निकालने की बार बार कौशिस करती लेकिन गाय दूध निकालने नहीं देती थी। और देखते ही देखते गाय निचे गिर गई। वैसे गाय को बहोत ही भारी बुखार आया हुआ था।

ऐसे ही दो तिन दिन बित गया और गाय बिमारी की वजह से दूध नहीं दे रही थी।इसलिए किसान ने सोचा की अगर ये दूध नहीं देती तो इसको रखके में क्या करुगा? बिना ढूढ़ के पालना मेरे लिए नुकशान है। और अब हर रोज इनकी देखभाल और दवाई लाने के लिए समय नहीं है। ऐसा सोचके किसान ने इन गाय से छुटकारा पाने का तोड़ निकाला।

उनको लगा की अब गाय ठीक नहीं होगी तब उसने गाय को खड़ा किया और धीरे धीरे गाय कों लेके वन की और चलते गया। गाय ने बहोत दूध दिया था, और अब वो उन किसान के लिए बोझ बन गई थी इसलिए उस किसान ने वन के अंदर ले जा कर निसहाय गाय को छोड़ दिया, और गाय को जंगल में छोड़ कर वह किसान अकेला घर आ गया।

बेचारी गाय लाचार हो के उस किसान को देखती ही रह गई। थोड़ी देर बाद वह गाय अकेली होने की वजह से डरने लगी। और उन घने जंगल से निकलने की और देखने लगी और थोड़ी सी हिम्मत जुटा कर वो चलने लगी। बहुत देर तक चलने के बाद वह जंगल से बहार खुल्ले में निकल पायी। बहार निकलने के बाद अचानक उन्हें एक छोटा सा घर दिखाई दिया। वो जल्दी से उस घर की और चलने लगी, घर तक पहुचते ही वह थकावट से बेहोश होकर घर के दरवाजे के पास गिर गई। वह घर एक गरीब आदमी मधु का घर था।

सोमलाल सुबह सवेरे घर से बाहर निकला, तो दरवाजे पर उसने गाय को देखा, गाय बहुत बीमार लग रही थी, और उसे यह देखकर बहुत दुख हुआ, उसने अपने पत्नी को मदद के लिए बुलाय.. “और अपनी पत्नी को कहा चलो यह गाय हमारे घर पे मदद के लिए आई होगी और यह बहोत बीमार है। हमें इनकी मदद करनी चाहिए।

हमारे पास कुछ आटा और गुड है वो जल्दी से लेके आओ जो की उसे खिलाना है।

सोमलाल की पत्नी ने गुड और मकई का आटा ले आई और गाय के मुह के आगे रख दिया। फिर गाय के सिर पर गीला कपड़ा रखा | सोमलाल और उसकी पत्नी दोनों बहुत दिनो तक गाय की सेवा की, और धीरे-धीरे गईय्या की तबीयत ठीक होने लगी, जल्दी ही, गाय अपने आप चलने लगी। सोमलाल रोज उसे खिलाते हुए, बाते करता था। सोमलाल से गईय्या को भी बहुत लगाव हो गया।

एक दिन, जब सोमलाल अपने घर के बाहर सफाई कर रहा था। तब गईय्या उसके सामने आयी और अपने पैर पटक कर, खड़ी हो गयी। पहले सोमलाल को समझ नहीं आया, फिर  उसको लगा की शायद वो दूध देना चाहती है। फिर वो मटका लाया और दूध  निकालने लगा। इतना सारा दूध देखकर सोमलाल खुशी से झूम उठा। जल्दी ही वह अपनी पत्नी को दिखाया। भागवान देखो आज गाय ने हमें क्या दिया है। आज गौ माता ने हमें बहोत सारा दूध दिया है। हम इसे बेचकर अच्छा पैसे कमा सकते है। ये तो कमाल हो गया जी, लगता है इश्वर ने हमारी प्रार्थना सुन ली।

पत्नी बोली दूध देखकर यह तो बहोत अच्छा हुआ है। आप शहर जाइए, और इसे बेचकर पैसा ले आइए, आज रात् हम दावत करेंगे।

अब मधु दूध लेकर बाजार गया, औरे दूध बेचकर अच्छा पैसा कमा लाया। उसने भगवान को धन्यवाद किया।उस दिन से वह हररोज दूध बेचने लगा, और जल्द ही वह अपने शुद्ध दूध के लियें दूध लेने वालो में मशहूर हो गया। अब शहर वालों को बस, उसी का दूध  चाहिए था। जिसके लिए वो अच्छी रकम भी देते थे।

ऐसे ही थोड़े दिन बीतने के बाद इस बात की खबर रामलाल के पास पहोच गई।

रामलालजी अपनी गाय को लेने के लिए मधु के घर पहोच गया और बोला-  “मेरे गईय्या को चुराने की हिम्मत कैसे हुई”, अब तुम उससे अच्छा पैसा कमा रहे हो, मै अभी इस गाय को लेके जा रहा हु, वो तो मेरी गाय है। ये तुम्हारी नहीं है, मुझे वापस दो।

रामलालजी और उनकी पत्नी ने गाय देने से इनकार किया किया हमने यह बीमार गाय की बहोत देखभाल की है तब जाके यह गाय ठीक हुई है। अगर हम इनकी देखभाल नहीं करते तब वो मर जाती। अब तुमको यह गाय मांगने के लिए शर्म नहीं आती , मधु की पत्नी ने कहा। अब गाय हम कतई नहीं देंगे क्योकि आप दोबारा बीमार होने पर मरने के लिए छोड़ देंगे।

रामलाल शर्मशार हो गया क्योकि वह गाय को मरने के लिए जंगल छोड़ के गया था। और वह खली हाथ अपने घर चला गया।

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तो दोस्तों हमें पशुओ की सेवा करनी चाहिए क्योकि वह बोलता नहीं है की उसे क्या दुःख हुआ है यह तो हमें महसूस करना देखना पड़ता है।

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