hathi ki kahani,हाथी और शेर की कहानी

hathi ki kahani: दोस्तों यहाँ पे हमने हाथी और शेर की कहानी, मजेदार तिन कहानिया यहाँ पे पढने को मिलेगी जो आपको पसंद आएगी , धन्यवाद,…

हाथी और शेर की कहानी
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शेर और हाथी की दोस्ती कहानी – The Lion and Elephant moral story,


हाथी और शेर की कहानी

एक जंगल में एक शेर रहेता था। उसे एक दिन बहोत जोरो से भूख लगी थी। शेर ने हिरन को देखा और उसका शिकार किया और खा लिया, लेकिन हिरन की एक हड्डी शेर के गले में अटक गई। शेर उसे निकाल नहीं पा रहा था। उसे बहोत दर्द होने लगा।

शेर हड्डी निकालने के लिए मदद के लिए इधर उधर घूम रहा था। तब शेर को एक मोरनी नजर आई शेर ने मोरनी को कहा की- मेरे गले में हड्डी फस गई है।  तुम उसे अपनी चौच से निकाल दो, मोरनी ने कहा मै ऐसा बिल्कुल नहीं कर सकती। इस बहाने से तुम मुझे खाना चाहते हो ना, तुम यहाँ से चले जाओ, शेर मायुस होकर वहा से चला गया।

इतने में उसे एक भालू नजर आया शेर भालू के पास गया और कहने लगा, दोस्त मेरे गले में एक हड्डी फस गई है आप महेरबानी करके उसे बहार निकाल दो, भालू ने कहा की अरे यार मै बहोत थक गया हु। मुझे बहोत नींद आ रहा है। तुम यहाँ से चेले जाओ मै तुम्हारी कोई मदद नहीं कर सकता।

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अपना मुह लटकाते हुए शेर वहा से आगे बढ़ा इतने में उसे एक हाथी नजर आया हाथी एक आम के पेड़ के निचे था। उसे बहोत भूख लगी थी। वह आम खाना चाहता था। लेकिन आम बहोत उचे थे। उसका सुढ वहा तक नहीं जा रहा था। हाथी पेड़ पे नहीं चढ़ सकता था। इसलिए हाथी आम गिराने के चक्कर में मगशुल था।

इतने में शेर हाथी के पास आया और कहने लगा मै तुम्हारी मदद करूँगा। लेकिन उससे पहले तुम्हे मेरी मदद करनी पड़ेगी। शेर की बात सुनकर हाथी कहने लगा। मै तुम्हारी क्या मदद कर सकता हु। शेर ने कहा मेरे गले में हड्डी फस गई है। महेरबानी करके तुम इसे निकाल दो, फिर में तुम्हारी जरुर मदद करूँगा।

हाथी इसके लिए राजी हो गया और अपनी सुढ से शेर के मुह में से हड्डी को बहार निकाल दिया। शेर का दर्द कम हो गया। वो बहोत खुश हुआ और वो आम के पेड पर चढ़ गया। वहा से आम तोड़कर हाथी को देने लगा, हाथी आम के फलो को खाया जिससे उसका भूख मिट गया। और वो भी बहोत खुश हुआ। उस दिन से हाथी और शेर अच्छे दोस्त बन गए।

sher aur hathi ki kahani :कहानी की सिख: कोई भी मुसीबत हमें बोलकर नहीं आती है, इसलिए हमें सब मिलजुल कर रहेना चाहिए।


hathi ki kahani – शेर की खाल से हाथी को बचाया


यह कहानी है एक बहोत आदिवासी गाव की, इस गाव के लोग बस खेती से आधारित खेती करते थे। वहा के लोग बारिश के समय खेती करते और बाकि के समय शहर में जाकर मजदूरी करके अपना गुजरा करते थे। गाव के लोग दयालु एवं परोपकारी होते ही है तो इन्हों ने एक कैदी हाथी को कैसे भगवाधारी लोगो के कैद से कैसे छुड़ाया। आज हम इसकी कहानी जानेगे।

दोस्तों आप जानते ही है की एक हाथी सौ लोगो का गुजारा करवाता है। ऐसा हमारे देश में फिलहाल तो कम हो गया है लेकिन फिर भी अभी भी कही पे देखा जा सकता है। ये कहानी है बंजनपुर गाव की,,,……

गाव के सभी लोग अपने अपने काम के लिए निकल गए थे की दोपहर का समय था। साधुओ के बेश में गाव में बीस से पच्चीस लोग घूम रहे थे और लोगो से पैसा निकलवा रहे थे की हम हाथी दिखाने आये है और दान देने से घर में दुर्बलता कम होता है। वो भगवाधारी लोग गाव में हर घर घर जाके पैसा जमा कर रहे थे। और उनके पीछे एक बहोत ही दुर्बल हाथी आ रहा था जिसे गाव के लोगो ने देखके पैसा, नारियल आदि देते है।

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हाथी को दिया हुआ पैसा वो अपने ऊपर बैठे महावत को देता है क्योकि यह उनको सिखाया जाता है और नारियेल खुद पैर दबाके टुकड़ा करके खा लेता है। लेकिन इनको इतना खाने से भूख पूरी नहीं होती लेकिन करे तो क्या करे अब चंगुल में से निकलना आसन नहीं होता।

वो हाथी वाले लोग भी धुतारू होते है और हाथी को कोई इतना सारा चारा नहीं खिलते और सिर्फ अपनी ही जेब भरते है वैसे तो वह लोग चले जाते है लेकिन काफी समय उस गाव में घूमने के बाद अँधेरा होने वाला था फिर वो हाथी वाले लोगो ने उस दिन उस गाव में रात गुजरने का निश्चय किया। और वे रुक गए।

वो लोग जहा रुके थे वहा एक आश्रम शाला थी वहा काफी वच्चे पढ़ने के लिए आये हुए थे। शाम को जब आश्रम के बच्चो ने हाथी को देखने के लिए गए। देखते ही देखते बच्चो ने सोचा की अरे यार हाथी तो वहोत दुबला है लेकिन ये लोग तो बिरियानी पका रहे है और बड़े बड़े मोबाइल में विडिओ देख रहे है।

बच्चों की हाथी को आजाद करने की सोच

तब उन बच्चो में से किसी बच्चे ने सोचा चलो आज हम इस हाथी को आजाद करते है। उनकी बात पे सभी बच्चो ने हां कह दिया। फिर उन्होंने काफी सोचा की हम हाथी को आजाद कैसे करे। काफी सोचने के बाद एक लडके को बिचार आया की हमें शेर का बेश धारण करना होगा ताकि ये झूटे साधू यहाँ से भागे और हम इस हाथी को वहा से ले जाके जंगल की और रवाना कर देंगे।

बच्चो में ठीक वैसा ही किया उनकी आश्रम में नाटक के लिए लाइ हुई शेर का भेष दो बच्चो ने धारण किया और उन साधुओ के आस पास घुमने लगे साधू लोग थोडा सा देखते ही एक भागा दूसरा, भागा ऐसे करके सभी साधू गाव में लोगो के घरो की और भागे।

तब दुसरे बच्चो ने हाथी को पेड़ से छोड़ कर जंगल की और जाने के लिए मोड़ दिया हाथी धीरे धीरे जंगल की और चलता जा रहा था अँधेरे में. वैसे हाथी को उन बच्चो ने अपनी सूझ बुझ से आजाद कर दिया ताकि शेर से लोग डरते है लेकिन मीठे लोगो को गुलाम बना लेते है।

जब सुबह साधू लोग हाथी को लेने आये तब हाथी नहीं था वो तो जंगल में आजाद हो चूका था। और वो ढूंढते ही रह गए।  फिर वो अपने वतन चले गए।

तो दोस्तों कैसे बच्चो ने शेर का पहेरवेश पहेनके एक हाथी को कष्ट में से मुक्त किया।

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