laila majnu ki kahani in hindi, लेला मजनू कहानी

laila majnu ki kahani in hindi: अरब के प्रेमी लैला मजनू प्रेमियों के आदर्श रहे है । अमर प्रेम की कहानी लैला मजनू बहोत पुराने समय की कहानी है । तो दोस्तों आज हम जानते है लैला मजनू का अमर प्रेम की सच्ची कहानी ।

laila majanu hindi kahani

laila majnu ki kahani in hindi
लेला मजनू स्टोरी

लैला मजनू की दास्तान

ये अमर प्रेम की जोड़ी उस दौर में हुई थी की जिस दौर में महोब्बत को बड़ी क्रूर और समाज इसे कभी स्वीकार नहीं करता था ।

मजनू का नाम बचपन में कैस था । उसके पिता का नाम शाह अमारी था । कैस का पिता अरबपति था । कैस के पिता को कैस जब छोटा था तभी किसी ज्योतिषी ने बताया था की यह लड़का बड़ा होक किसीके प्यार में पागल बनके फिरेगा । इसी बात की चिंता में कैश के पिता ने बहोत मन्नते भी राखी थी । फिर भी कैस की लकीरे बदल न सकी और वाही हुआ । जो किस्मत को कहा मंजूर था ।

लोगो के कहे मुताबिक: लैला और मजनू आपस में बहोत एकदूसरे को चाहते थे । लेकिन समाज ने उन दोनों को मिलने में रूकावटे डाली ।

समाज को इनकी मोहब्बत मंजूर नहीं थी । ऐसे हालत में भी उनकी महोब्बत और बढाती चली । इसलिए लोगो ने उनके अमर प्रेम के चलते इनकी जोड़ी को  लैला मजनु का नाम दिया । यहाँ के लोग लैला मजनू की कब्र को लैला मजनू की मजार कहते है ।

कैस का नाम मजनूकैसे पड़ा laila majnu ki kahani in hindi

नतीजा यह हुआ की लैला को घर में कैद कर दिया गया । और लैला की तन्हाई में कैस अकेला ही मारा मारा फिर रहा था । उसकी लैला के प्रति दीवानगी देखकर लोगो ने कैस को मजनू का नाम दिया । और आज भी लोग उसे मजनू के नाम से ही जानते है । और मजनू शब्द मोहब्बत का पर्याय बन गया है ।

कैस(मजनू) लैला को देखते ही आशिक बना

उस वक्त दशमिक के मदरसे में पढाई के दौरान जाब कैस ने नाज्द के शाह की खुबसुरत बेटी लैला को पहेलिबार देखा । देखते ही वह उनका आशिक हो गया । मौलवी ने मजनू की आशिकी को देखते ही समझाया था ।

की वह प्रेम की बाते भूल जाये और अपनी पढाई में ध्यान लगाये । लेकिन आशिको को ऐसी बातो का कहा असर पड़ता है । कैस की लैला के प्रति दीवानगी का असर धीरे धीरे लैला पे भी पड़ा । लैला भी कैस को बेपनाह महोब्बत करने लगी । और दोनों प्रेम के दीवाने बन गए ।

लैला मजनू की कहानिया

इन दोनों की आशिकी देखकर उस टाइम पे लोगो यानि की समाज ने इनको अलग करने की बहोत कौशिश की फिर भी लैला मजनू के दीवानगी तोड़ने में कामयाब नहीं हो सके । इन दोनों को अलग करने के लिए लैला की शादी लैला के घर वालो ने ईरान के बख्त नाम के शख्स के साथ कर दी थी । लेकिन लैला ने अपने शोहर को बता दिया था की मेरी शादी जबरदस्ती की गई है । मै किसी और को महोब्बत करती हु इसलिए मेरे ऊपर सिर्फ इनका ही अधिकार है । मेरे मजनू के अलावा और कोई मुझे छू नहीं सकता । इन्ही बातो को लेकर बख्त ने लैला को तलाक़ दे दिया गया ।

और यहाँ लैला के लिए मजनू पागलो की तरह घूम रहा था  । मजनू का कोई अत पता नहीं था । तलाक के बाद आते ही लैला मजनू के प्यार में पागल जंगलो में मजनू को ढूंढती हुई भटकने लगी । जब मजनू उसे मिला तो दोनों प्रेमपाश में बंध गए । लैला की माँ को इस बात का पता चलते ही जबरन उन दोनों को अलग करके लैला को घर ले गई । मजनू से विखुते होने के गाम में लैला ने अपना दम तोड़ दिया ।

लैला की मौत की खबर सुनकर मजनू भी दुनिया छोड़ के चल बसा ।

लोगो का यह मानना है की

लैला मजनू सिंध प्रांत के रहने वाले थे यही लोगो का मानना है । यह तो सब जानते है लेकिन इसकी मौत कैसे हुई इसके बारे में कई मत है यानि कोई स्पष्ट नहीं है ।

लोगो का यह भी मानना है की लैला के भाई इन दोनों की दीवानगी से बहोत गुस्से में थे और वो कबका मजनू को मारने के लिए घुमाता था । मजनू मिलते ही उसने मजनू की बड़ी क्रूरता से हत्या कर दी । लैला को जब मजनू की मौत का पता चला तो वह दौड़के मजनू के शव के पास गई और उसे देखते नई खुदकुसी कर ली यानि के वो भी मार गई ।

कुछ लोगो का मत है की घर से भागकर दरदर भटकने के बाद यहाँ तक पहोचे बिजोर गाव में थके हारे भागते फिरते और प्यास से उन दोनों की मौत हो गई ।

वही कुछ लोग यही मानते है की अपने परिवार वालो और समाज से दुखी होकर उन्होंने एक साथ sucide कर लिया था । खैर जो भी जुआ हो लेकिन दोनों को लोगो ने उनकी प्रेम की दास्ता समझके उनको साथ साथ दफनाया गया था । की इस दुनिया में ठीक से न मिलने वाले जन्नत में जाके मिल जाए । आज भी दुनियाभर में लैला मजनू की कब्र प्रेमियों की इबादतगाह है ।

लैला मजनू की कब्र , laila majnu ki kahani in hindi

भारत पाकिस्थान की सरहद पर राजस्थान में श्रीगंगा नगर जिले के बिजोर गाव में एक मजार पर दिन ढलते ही कव्वाली के धुनों के बिच आज भी सेकड़ो यूगल जोड़ी अपने प्रेम के अमर होने की दुआ मांगते देखे जाते है । यह कोई और मजार नहीं है, बल्कि दुनिया को अपनी बेइंतहा महोब्बत की पहेचान कराने वाले लैला मजनू की कब्र पर बना है ।

साल में एक बार 15 जून के दिन लैला मजनू की मजार पर दो दिन का मेला होता है । जिसमे आनेवालों का पूरा यकीन रहेता है, की उनकी फरियाद यहाँ जरुर कबुल होगी । दुनिया में सेकंडो साल बाद भी लैला मजनू की कहानी अमर मानी जाती है । जिसमे बड़ी संख्या में हिन्दुस्थान और पाकिस्थान के प्रेमी आते है । और अपने सफल जीवन की दुआ मांगते है ।

खास बात यह है की इस मेले में सिर्फ हिन्दू या मुस्लिम ही नहीं बल्कि बड़ी संख्या में सिख और इसाई धर्म के लोग भी शरीक होते है । यहाँ आने वाले लोगे के मुताबिक यहाँ मांगी जाने वाली हर मन्नत यह पवित्र मजार प्रेम के सबसे बड़े धर्म की एक मिशाल है ।

 

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