लालच बुरी बला है इस विषय को सार्थक करती हुई कुछ कहानिया हिंदी में पढेंगे, लालची लोग हमारे आस पास भी पाए जाते है और फिर वो आख़िरकार अपना खुद का ही बहोत बड़ा नुकशान कर लेते है यहाँ पे हम lalach buri bala hai इस बारे में कुछ कहानियो से समझेंगे.
lalach buri bala hai, लालच बुरी बला है हिंदी कहानीया
लालच का फल (1)
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भालू , शिकारी , गीदड़ एक दिन एक शिकारी वन में शिकार की खोज कर रहा था कुछ देर के बाद उसने एक भयंकर भालू को अपनी ओर बढ़ता हुआ देखा। शिकारी ने सावधान होकर अपने धनुष बाण से भालू का निशाना साधा। पास आने पर उसने भालू पर बाण चला दिया। बाण भालू के शरीर में घुस गया,
इस प्रकार से भालू का क्रोध बढ़ गया घायल होते हुए भी उसने शिकारी को दूसरा बाण चलाने से पहले ही दबोच लिया। उसने अपने तेज नाखूनों से शिकारी का पेट फाड़ डाला शिकारी वहीं गिर कर ढेर हो गया। पर भालू भी ना बच सका कुछ देर के बाद वहीं उसने भी प्राण छोड़ दिए।
इसी समय एक गीदड़ उधर आ निकला वह बड़ा लोभी था। भालू तथा शिकारी को मरा देखकर वह बड़ा प्रसन्न हुआ। उसने सोचा कि आज तो मुझे कहीं दिन का भोजन मिल गया है। अब निश्चित हो इसे खाकर मौज कर लूंगा। उसे भूख लगी थी उसने विचार किया कि आज तो धनुष की डांट खाकर ही भूख शांत करता हूं। कल से मनुष्य और भालू का स्वादिष्ट मांस खाने को मिलेगा ही।
इसलिए उसने पास पड़े धनुष की दांत से बनी डोरी को एक सिरे से चबाना शुरु किया अभी कुछ देर ही हुई थी की गांठ कट गई और झटके के साथ धनुष की लोहे की नुकीली कमान गीदड़ के मुंह में घुस गई। लालची गीदड़ वहीं गिर पड़ा और चटपटा कर वहीं उसने अपने प्राण त्याग दिए।
भालू, शिकारी, गीदड़ की कहानी से शिक्षा:
तो बच्चों इस कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि हमें कभी भी लालच नहीं करना चाहिए लालच करने का परिणाम बहुत ही गलत और हानिकारक होता है। यदि गीदड़ ने लालच न किया होता तो वो
लालची मिठाईवाला हिंदी कहानिया | lalchi mithaiwala hindi kahaniya (2)
एक गांव में मेवालाल नामका मिठाईवाला रहता था, उसकी दुकान की मिठाईया लोगो को बहुत भाती थी मेवालाल के पास दूर दराज के गांव के लोग भी मिठाई लेने आते थे किसी के भी घर में कोई भी शुभ कार्य होता था। तो वह मेवालाल के दुकान से ही मिठाई लेके जाता था।
और क्यूँ न लेके जाए मेवालाल हमेसा ताजी मिठाईया बनाता अपनी दुकान पे और वह सारि मिठाईया एक दिन में ही बिक जाती थी। मेवालाल भी इससे बहुत खुस था।
दिन पे दिन मेवालाल प्रसिद्ध होने लगा। जितना वह प्रसिद्ध होने लगा उतना ही वह धनवान होते गया। ( लेकीन कहते हैं न इंसान की ख़्वाईसे कभी भी पूरी नही होती है ) मेवलाल कम मुनाफे में मिठाईया बेचता था। इसलिए उसकी मिठाईया ज्यादा बिकती थी।
मेवालाल एक दिन सोचने लगा की क्यूँ न मिठाइयों का दाम बढ़ा दिया जाए। इससे मुझे ज्यादा मुनाफा होगा, मेवालाल ने अपनी मिठाइयों का दाम बढ़ा दिया लेकीन फिर भी लोग उसके दुकान से मिठाइया लेते थे, क्यूंकि उसकी मिठाइये स्वादिष्ट होती थी। और उन मिठाइयों में किसी भी प्रकार का मिलावट नही होता था।
मेवालाल में लालच का बढ़ना
धीरे धीरे मेवलाल के अंदर और लालच बढ़ने लगा ( वह कहते है न लालच बुरी बला है, और विनाश काले विपरीत बुद्धि ) यह दोनों मेवालाल के अंदर आ गया था। वह लालची के साथ साथ अपनी बुद्धि भी गवा बैठा था।
वह अब मिठाइवो में मिलावट करने लगा और उन मिठाइयों को ज्यादा दाम में बेचता था। अब उसकी मिठाइया बे स्वाद होती थी। उसकी मिठाइये अब लोगो को ज्यादा नही भाती थी। धीरे-धीरे उसके दुकान पे ग्राहक आना कम हो गये। और एक दिन ऐसा आया की उसके दुकान पे उसकी मिठाइयों को लेने कोई नही आता था।
देखते देखते एक महीना बिता फिर दो महीना फिर भी उसके दुकान पे कोई भी मिठाई लेने नही आता था। मेवालाल ने अपनी मिठाइयों को पहले जैसा बेचना सुरु किया। फिर भी उसके दुकान पे मिठाई लेने कोई नही आता। मेवलाल ने फिर अपनी मिठाई का दुकान बंद करके खेती बाड़ी करने लगा, मेवालाल को उसके लालच का फल मिल चुका था।
मन की बात:- अगर आप भी मेवालाल के रास्ते पे हैं, तो अपना रास्ता तुरंत बदल दीजिये ऐसा न हो की आप भी मेवालाल की तरह खेती बाड़ी करने लगे।
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एक चाचा और चाची की लालच की कहानी (3)
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ये घटना हमारे घर के पास वाले घर के परिवार के साथ ही घटित हुई थी। एक चाचा और चाची एक दिन मार्किट जाने के लिए सज धज के निकले।
चाचा नहा धोकर नए कपडे पहनकर निकले और चाची का तो कहेना ही क्या? की वो नए कपडे पहेने ही थे और ऊपर से दोनों हाथो में चांदी के बड़े बड़े कड़े पहेने थे और गले में चांदी से बना हुआ बड़ा सा कड़ा पहेन लिया। और दोनों खेती का काम से किशी कारणवश बाजार गए।
बाजार में चाचा चाची ने बहोत कुछ खरीददारी की जो कुछ घर का राशन वगेरे थेली भर के इधर उधर किसी न किसी चीज के लिए उस दुकान से दूसरी दुकान ऐसे घूम रहे थे।
तभी उन लोगो के ऊपर एक चोर की नजर पड़ी। और इस चोर की नजर चाची के गहेनो पे पड़ी और फिर चोर ने उन लोगो का चुपके से पिछ्छा किया फिर चोर ने एक गजब की युक्ति निकाली।
चोर की युक्ति
चोर चाचा चाची के आगे आगे चलने लगा और एक सोने सा कलरवाली कड़ा निचे गिरा दिया और उन कड़ा के थोड़े दूर ही खड़ा रह गया।
चाचा चाची अपनी धुन में आगे बढ़ ही रहे थे की चाचा की नजर उस कड़े पे पड़ी और चाचा कड़ा जहा पड़ा था, वहा जाके खड़ा रह गया। और इधर उधर देखने लगा। ये सब चोर देख रहा था।
जब चाचा ने कड़े को उठाने के लिए हाथ किया ठीक उसी वक्त चोर भी कड़ा से हाथ पकड़ा। और ऐसा वाक्या हो गया की दोने ने ही कड़े को उठाया।
वास्तव में कड़ानकली था जो की उन चोर की चाल थी। खेर उस चोर ने चाचा से कहा मैंने भी यह कड़े को देखा है इसलिए मेरा भी हिस्सा देना पड़ेगा, आप अकेले नहीं ले सकते इन सोने के कड़े को इनकी किम्मत बहोत होती है मार्किट में, चाचा ने भी हां कह दिया। और उस चोर ने झट से कहा ये सोने का कड़ा है आप इसे तुरंत अपनी थेली में डाल दीजिये वर्ना कोई आ जायेगा कड़ा लेने। चाचा ने चोर की बात मान ली और कड़े को थेली में डाल दिया।
फिर तीनो लोग कुछ आगे चले और बटवारा करने की सोचने लगे।
चोर ने युक्ति से कहा चाचा यह कड़े की किम्मत बहोत है लेकिन हम आज इसे बेच नहीं सकते क्योकि सोने की दुकान वाला यह कड़ा जहासे खरीदा है उसका बिल मांगेगा हमारे पास बिल नहीं है। इसलिए यह कड़ा चोरी का साबित होगा।
चाचा सोने का कड़ा मिलने से बहोत ही खुश था। लेकिन चोर की चालाकी ऐसी थी की
चोर बोला,” चाचा में बहार का आदमी हु और मुझे अपने घर जाने में देर हो रही है इसलिए सोने के कड़े को बटवारे के बारे में कुछ करो।”
चाचा बोला,” ठीक है पर में ये पूरा कड़ा आपको नहीं दे सकता इसका बटवारा कर लेते है। और अपने अपने घर चले जाते है।”
चोर बोला ,” पर इसका बटवारा हम कैसे करेगे।”
चाचा बोला,” अरे कुछ समझ में नहीं आ रहा लेकिन में इस कड़े का आधा पैसा तो लूँगा ही”
चोर कपटी से बोला
चोर बोला,” चाचा हम ऐसा करते है की तुम्हारी चाची का गले में पहेना हुआ चांदी का कड़ा आप मुझे दे दीजिए और ये सोने का कड़ा आप रख लीजिये पूरा।
चाचा बोला,” अरे में ऐसा नहीं कर सकता।”
चोर बोला ,” यह सोने के कड़े से आप चाची के लिए चांदी के ऐसे दस बारा कड़ा खरीद सकते है और खोट तो मूझे है की एक ही कड़ा मिलेगा।
चाचा तो यह सुनके और खुश हो गया और हँसने लगा।
वह चाचा बोला,” ठीक है ऐसा ही करते है।
चाचा ने चाची का वो असली वाला चांदी का कड़ा चोर को दे दिया। और वो सोने का कड़ा लेकर घर आ गए।
चाचा चाची बहोत ही खुश थे सोने का कड़ा पाकर। अगले दिन जब चाचा ने उस सोने के कड़े को बेचने के लिए अपने पहेचान वाले सुनार की दुकान पे गए। और सोनी को कड़ा देते हुए कहा इनका वजन के हिसाब से जो पैसा बने वो चाहिए।
सुनार उस चाचा के कडे को हाथ में लेते ही समझ गया की ये नकली है।
सुनार ने कहा,” चाचा ये आप लाये कहा से हो?
चाचा ने कहा.” ये मुझे कल बाजार में मिला था।
सुनार ने कहा,” ये कड़ा सोने का नहीं है? “
चाचा ने कहाँ,” कैसे नकली सोने का तो है”
सुनार ने कहा,” नहीं ये सोने का बिल्कुल नहीं है।”
चाचा ने कहा,” अरे शेठ मझाक मत करो”
सुनार ने कहा,” चाचा में तुम्हे जनता हु इसलिए, अगर आपके सिवा और कोई होता तब अभी तक जेल की हवा पोलिस के साथ लेता।
चाचा बड़े गंभीर हो गए। और वहा से घर आ गए। चाचा को बहोत नुकशान हुआ की असली चांदी का कड़ा देखर ज्यादा पैसो की लालच में आकर बहोत बड़ी भूल कर दी। चाचा को भारी पछतावा के अलावा कोई उपाय नहीं था।
lalach buri bala hai
सोने की लालच में चाचा ने असली चांदी गवा दी।
सिख: लालच बुरी बाला है। लालच से आदमी को नुकशान सहना पड़ता है।
दोस्तों कमेंट में बताइये आपको ये छोटी छोटी लालच का फल की Hindi kahani कैसी लगी…
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मुझे यह लेख काफी पसंद आया आपकी कहानियां वाकई कमल की है और आपका कार्य सराहनीय है |