sangati ka asar kahani, संगत का असर प्रेरक प्रसंग

sangati ka asar kahani: हमारी किसी के साथ संगत या दोस्ती हमारे जीवन पर बहोत बड़ा असर डालती है । नेक संगती इन्शान जहा महान बनाता है, वही बुरी संगत हमारा पतन करती है ।

sangati ka asar kahani, संगती हामारे जीवन को कैसे प्रभावित करती है

जो जैसे लोगों के साथ रहते हैं वैसे ही उनके विचार हो जाते हैं और वैसे ही उनकी सोच भी हो जाती है और जैसी आदते उनके अन्दर होती है वैसी ही आदते डेवलप हो जाती है । यह सब सिर्फ संगती का असर होता होता है ।

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sangati ka asar kahani
बुरी और अच्छी संगत की कहानिया

 

यदि आप अच्छे लोगो के साथ रहते हो ना तो आपको कुछ न कुछ अच्छा ही सीखने को मिलता है। और यदि आप बुरे या गलत लोगो के साथ रहेते हो तो हमेशा गलत ही सीखने को मिलता है ।

यह एक बात सच है की संगती किसी भी इन्सान की जिंदगी पलट देती है । संगत के कारण किसी भी इन्शान का तरीका उठने बैठने का तरीका, पहनने का तरीका, खाने पिने का तरीका, बात करने का तरीका, हर चीज में बदलाव आ जाता है ।

संगत (दोस्ती) हमारी लाइफ को कितना असर करती है और कैसे अफेक्ट करती है

क्या आपने कभी सोचा है कि संगति हमारे जीवन को कितना असर करती है । आपने कभी नोटिस किया है कि ज्यादातर अच्छे लोगों के दोस्त अच्छे ही क्यों होते हैं? और शराबियों के दोस्त शराबी ही क्यों होते हैं? क्योंकि यह सब संगत का असर होता है ।

मां-बाप से तो सिर्फ हमें में संस्कार मिलते हैं । लेकिन आपका फ्यूचर कैसा होगा यह डिपेंड करता है कि आपके संगति कैसे लोगो के साथ है । कैसे लोगों के साथ आप टाइम स्पेंड करते हो और कैसे लोगों के साथ उठते बैठते हो, दोस्तों हम ना चाहते हुए भी अपने आसपास के माहौल में ढल जाते हैं और हमें पता ही नहीं चलता कि धीरे-धीरे हमारा दिमाग उस वातावरण को ही कोम्फोर्टझोन मान लेता है । उसका आदि हो जाता है । ना चाहते हुए भी ये हमें बुरी तरह प्रभावित करता है ।

एक रिसर्च द्वारा पता चला है की आप जैसे वातावारन में रहते हो उसी प्रकार आपके दिमांग का विकास भी होता है ।

दोस्तों मेरी एक बात हमेशा याद रखना की आप अकेले रह लेना लेकिन कभी गलत लोगों की संगत में मत पड़ना । क्योंकि गलत संगती आपकी जिंदगी तहस नहस कर देंगी ।

आप क्या हो, यह आधार रखता है की आप किन लोगो के संगत में रहते है । अब संगती की असर कहानी से समझते है ।

sangati ka asar kahani -1

संगति का असर

एक समय की बात है । अपने माँ बाप का एक एकलौता लड़का था । उसका नाम पप्पू था । उस लडके के माता पिता उच्च शिक्षित थे । और वे बहोत ही धनवान परिवार से ताल्लुक रखते थे ।

संयोगवश उनका एकलौता लड़का- उन धनवान माँ बाप की आँखों का तारा की सामान पप्पू बुरी संगती में पड़ गया । क्योकि उसके दोस्त जुआरी, शराबी थे । उस पप्पू ने जुआ खेला । ध्रूमपान किया और वह पप्पू पुरे दिन घूमता रहेता । पप्पू की ऐसी हरकत से इनके माता पिता को बहोत दुःख हुआ । पप्पू की और से कोई न कोई शिकायत लोगो से उनके माता पिता को सुनने को हर रोज मिलती । पप्पू के माता-पिता को अपने समाज में छोटा महेसुस करना पड़ता था । अपने घर के पडोशी और सोसायटी में पप्पू की हरकतों की वजह से अपना सिर निचा रखना पड़ता था ।

पप्पू के माँ बाप अपने लडके से तंग आ चुके थे । वे किसी भी किंमत पर अपने प्पपू को सुधारना चाहते थे ।

फिर एक दिन पिता ने पप्पू को अपने पास बुलाया । उसने उसे एक सडा हुआ आलू दिया । और कहा की इस सड़े हुए आलू को अच्छे आलू की बोरी में रखने को कहा । ओअर पप्पू ने ऐसा ही किया । कुछ दिनों के बाद, पप्पू के पिता ने पप्पू को बोरी में से सब्जी बनाने के लिए आलू लाने को कहा । पप्पू टोकरी भरके आलू ले आया । अब उनके पिता ने कहा आलू चक्कू से कांटो । पप्पू जैसे ही आलू को कटता वो आलू सदा हुआ ही होता । पांच छ आलू कांटने के बाद पप्पू ने अपने पिताजी से कहा की यह सब आलू सड़े हुए है ।

पिता ने पप्पू को कहा, देख बेटा! एक सडा हुआ आलू ने पूरी बोरी के आलू को सडा दिया । अच्छे को ख़राब कर दिया सिर्फ एक की वजह से इसी तरह एक बुरा लड़का दुसरे सभी अच्छे लड़को को भी बुरा बना सकता है । “ पप्पू ने सबक सिखा । उसने एक अच्छा लड़का बनने का अपने पापा से वादा किया । बाद में वह लड़का आला दर्जे का आधिकारी बना ।

नैतिक: एक बुरी संगत में रहने से बेहतर है कि अकेले रहें।

जैसा संग वैसा रंग – राजा और तोते की कहानी- 2

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एक राजा एक बार कुछ सैनिकों को लेकर जंगल में शिकार करने के लिये गया। चलते गए, चलते गए जंगल में कोई शिकार तो नहीं मिला। पर घनघोर जंगल में प्रवेश कर लिया।

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एक जगह पर डाकू के छिपने की जगह दिखाई दी। वहां पर एक पेड़ था। उस पेड़ के ऊपर एक तोता बैठा था। तोते ने राजा और सैनिकों को देख कर बोलना चालू किया। पकड़ो पकड़ो… मारो मारो… राजा आए हैं। इनके पास बहुत धन और किंमती आभूषण होगा। जल्दी आओ, जल्दी आओ, यह सुनकर के डाकू लोग बाहर आये। राजा और सैनिकों ने डाकूओ को देखा, तो दौड़ने लगे भागने लगे। काफी दूर डाकुओ से बचकर भाग चले आने के बाद एक स्थान पर ऐसे पहुंचे जहां भी पेड़ था। वहा थोड़ा सांस लेने के लिए खड़े हुए। उसी पेड़ के ऊपर एक और तोता था। उस तोते ने भी इनको देख कर बोलना शुरू किया, है राजन! आपका हमारे साधु महाराज के कुटिया में स्वागत है। आइए पानी पीजिए, विश्राम कीजिए, राजा को बड़ा आश्चर्य लगा।

एक जाति के दोनों प्राणी और दोनों के व्यवहार में इतना अंतर? राजा कुटिया में गए और साधु को मिले और साधु को आपबीती सुनाई। और फिर पूछा कि इन दोनों तोतों के व्यवहार में इतना अंतर क्यों?

साधू ने भेद बताया

साधु ने बड़ी धैर्यता के साथ कहानी सुनाते हुए कहा कि- हे राजन! ऐसी कोई बड़ी बात नहीं। यह संगत का असर है। जैसा वातावरण मिलता है, जैसा संग मिलता है, वैसा ही व्यक्ति सीखता है,

उस तोते को डाकूओ का संग मिला, वातावरण मिला, तो इन तोते की भाषा ही ऐसी बदल गई। अर्थात जो जिस वातावरण में रहता है वैसा ही बन जाता है। और यहाँ का तोते को मेरा साथ मिला इसलिए मेरी तरह आदर भाव से बोलता है। और वहा का तोते को डाकुओ का संग मिला इसलिए वह तोता डाकुओ की भाषा बोलता है।

इसलिए कहते हैं ना कि विद्वान अगर मूर्खों के संग में रहता है, तो वह भी मूर्ख पना करने लगता है और अगर मूर्ख विद्वानों के संग में रहता है तो वह भी विद्वान बन जाता है।

 इस कहानी से हमें यह बोध मिलता है कि हम जीवन के अंदर कभी भी किसी का भी संग करें तो बहुत सोच समझकर के करें, जिनसे हमारा कभी नुकसान ना हो। कहते हैं ना “जैसा संग वैसा रंग


sangati ka asar in hindi

यदि चंद्रगुप्तमोर्य को आचार्य चाणक्य का साथ नहीं मिलता तो शायद वह इतने बड़े सम्राट नहीं बनते और यदि कौरवों को मामा शकुनि की बुरी संगत नहीं मिलती तो शायद महाभारत नहीं होती और यदि कैकई को मंथरा नहीं मिलती तो शायद श्री राम को बनवास नहीं जाना पड़ता,

दोस्तों हमारे इतिहास से लेकर आज तक लाखों करोड़ों एग्जांपल हैं जो यह बताते है की अच्छी संगती का फल हमेशा अच्छा ही होता है और बुरी संगति का नतीजा हमेशा बुरा ही होता है

यदि कोई पूछेगा कि सफल होने के लिए सबसे इंपोर्टेंट एक पॉइंट क्या रहेगा तो मेरा जवाब सिर्फ यही रहेगा कि अच्छी संगति, अच्छी दोस्ती,

दोस्तों… हमारी sangati ka asar kahani कैसी लगी आपके विचार comment में हमें जरुर बताइए धन्यवाद…

 

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