motivation success story in hindi: जिस वक्त हम तमाम परेशानियों से बिल्कुल ही निराश हो जाते हैं। जब समझ नहीं आता कि अब आगे कैसे बढ़ जाए, जब यह डर आप को डुबोने लगे कि कहीं आपका सपना पूरा होगा भी या नहीं, तब अशोक खाड़े जैसे लोगों की कहानी आपको प्रेरणा कि वो रोशनी देती हैं, जिसके सहारे आप आगे बढ़ने के लिए अपने मन को बदल सकते है।
जिंदगी में सफलता उसी के कदम चूमती है, जिनके हौसलों में जान होती है, जिनके इरादे नेक और पक्के होते हैं, वह कभी भी मुश्किलों से घबराकर भागते नहीं, बल्कि उसी मुश्किल को अपना हथियार बना लेते हैं, कुछ ऐसी ही कहानी अशोक खाड़े की है, जिन्होंने जिंदगी के उस तौर से सफलता हासिल की है जिसकी आप और हम कल्पना भी नहीं कर सकते।
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इस दलित शख्स के परिवार को कभी दो वक्त की रोटी के लिए जूझना पड़ता था। उनके पिता मुंबई में एक पेड़ के नीचे बैठकर मोची का काम करते थे और उनकी मां बारह आना हर रोज खेतों में मजदूरी करती थी। लेकिन इस शख्स की कंपनी का आज दुनियाभर में 500 करोड़ से ज्यादा का व्यापार है। करीब पांच हजार लोग इनकी अलग अलग कंपनियों में काम करते हैं।
अशोक खाड़े के संघर्ष की कहानी Short story of success in Hindi
आज की जानी मानी कंपनी DAS OFFSHORE ENGINEERING PVT. LTD. के MD. अशोक खाड़े के संघर्ष की कहानी 70 के दशक में महाराष्ट्र के सांगली जिले से शुरू होती है। जहां पर उनका जन्म हुआ था ।
अशोक जब पांचवी क्लास में थे तब एक दिन उनकी मां ने उसे चक्की से आटा लाने भेजा, बारिश की वजह से अचानक अशोक फिसले और सारा आटा कीचड़ में गिर गया। अशोक ने घर पहोचकर ये बात बताई तो उनकी माँ रोने लगी। क्योकि उनके पास बच्चों को खिलाने के लिए कुछ भी नहीं था। तब उनकी माँ गांव में कहीं से कुछ भूट्टे मांग कर ले आई। और बच्चो को खिलाया और खुद भूखी सोई। ऐसी परिस्थितियों को देखते हुए अशोक ने उसी दिन तय कर लिया था कि मुझे अपने परिवार को गरीबी से निकालना है। अपने बोर्ड कि परीक्षा के बाद अशोक आगे की पढ़ाई के लिए मुंबई में अपने बड़े भाई दत्तात्रेय के पास चले गए।
जहा उनके भाई माझगाव डॉक यार्ड में वेल्डिंग अप्रेंटिस का काम करते थे। अशोक ने उनकी मदद से कॉलेज के पहले साल की पढाई पूरी की लेकिन उसके बाद हालात बदल गए। उनके बड़े भाई ने कहाँ की अब उनके हालत बदल गए अब उसका खर्चा नहीं उठा पायेंगे। इसके बाद परिवार की मदद के लिए अशोक को भी पढ़ाई छोड़ कर मझगाव डॉक यार्ड में काम करना पड़ा। जहां उन्हें रोजाना नब्बे रुपैये मिलते थे।
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अपनी अच्छी हैंडराइटिंग की वजह से अच्छा पगार वाला काम मिला
अशोक की हैंडराइटिंग अच्छी थी इसके कारण कुछ समय बाद उसे शिप डिजाईनिंग की ट्रेनिंग दी जाने लगी और 4 साल बाद उसे परमानेंट ड्राफ्ट्समैन बना दिए गए। सैलरी बढ़कर 300 रुपैये हो गई। लेकिन अशोक इतने से ही संतुष्ट नहीं हुए। वे नौकरी के साथ-साथ मैकेनिकल इंजीनियरिंग का डिप्लोमा भी करने लगे।
चार साल बाद डिप्लोमा मिलने पर उन्होंने क्वालिटी कंट्रोल डिपार्टमेंट में ट्रांसफर ले लिया। यहां उन्हें चेक करना होता था कि जहाज डिजाइन के अनुसार बन रहा है कि नहीं।
एक बार उन्हें काम के सिलसिले में जर्मनी भेजा गया। वहा उन्होंने दुनियाभर में मशहूर जर्मन टेक्नोलॉजी को करीब से देखा। वही उन्हें पता चला की वो जो काम कर रहे है उसकी कितनी अधिक कीमत है। जिसके बाद उन्होंने फैसला किया कि वह यहीं टेक्नोलॉजी का यूज कर अपने बिजनेस की शुरुआत करेंगे।
DAS OFFSHORE ENGINEERING PVT. LTD. की शुरुआत
इसके बाद तीनों भाइयों ने मिलकर नौकरी के साथ-साथ दास ऑफशोर इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड की नींव रखी। पैसों की कमी के चलते शुरुआत में उन्हें छोटे-मोटे काम किए उसके बाद उन्हें तेल के कुएं के पास प्लेटफोर्म बनाने का काम मिला। यह उनका पहला बड़ा काम था। जिसके बाद वे लगातार तरक्की की सीडिया चढ़ते गए।
अब दास ऑफशोर की क्लायंट की लिस्ट में ONGC, HYUNDAI, BRITISH GAS, LARSEN & TOUBRO, ESSAR OR BHEL जैसी कंपनिया शामिल हो चुके हैं। और वे समुद्र में सो से भी ज्यादा प्रोजेक्ट पुरे कर चुके है। अब दास ऑफशोर में पांच हजार से भी ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं और कर्मचारियों की संख्या के लिहाज से यह किसी दलित द्वारा बनाई गई सबसे बड़ी कंपनी है।
न्युयोर्क टाइम्स ने भी अशोक खाड़े की कहानी को पहले पन्ने पर छापा था। और स्वीडेन में उनके संघर्ष की कहानी इकोनोमिक्स के छात्रो को पढाई जाती है।
अशोक खाड़े आज देश ही नहीं बल्कि दुनिया के ऐसे लोगो के लिए एक मिशाल है। जो अपनी महेनत और शिक्षा के बल पर आगे बढ़ना चाहते है।
motivation success story in hindi कैसी लगी आप हमें comment में जरुर बताइयेगा.
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