short story of tenali raman with moral in hindi: तेनाली रामा की कहानिया बहोत ही प्रसिध्द कहानिया है जिनमे से एक कहानी यह है,
सच्ची सुंदरता तेनालीराम की कहानी
short story of tenali raman with moral in hindi
यह बात उस समय की है जब महाराजा सम्राट कृष्ण देवराय विजयनगर को सजासंवार रहे थे वह विजयनगर को एक ऐसा रूप दे देना चाहते थे कि सभी व्यक्ति उसे देखकर स्वर्ग को भी भूल जाए देश विदेश के निपुण कारीगर शिल्पी और माली बुलवाकर उन्होंने मनोरम बगीचे लगवाए सुंदर महल और मंदिर बनवाए।
मंत्री को आदेश था विजयनगर को सुंदर से सुंदर बनाने में कोई कसर न छोड़ी जाए खजाने का मुंह खोल दिया गया था हुआ भी ऐसा ही विजयनगर के सौंदर्य की चर्चा दूर-दूर तक फैलने लगी बाहर से सैलानियों के झुंड के झुंड राज्य में आने लगे महाराज सम्राट कृष्णदेव राय विजयनगर की प्रशंसा सुनकर बहुत ही फूले न समाते थे।
एक दिन दरबार में सम्राट ने मंत्री की प्रशंसा करते हुए कहा मंत्री जी की दिन-रात की मेहनत ने विजयनगर की सुंदरता में चार चांद लगा दिए यदि कहीं कोई कमी रह गई हो तो आप लोग बताएं पुत्र में सभी ने एक ही सवाल से कहा अन्नदाता विजय नगर जैसा सुंदर राजेश धरती पर दूसरा नहीं कहीं कोई कमी नहीं कोई दोष नहीं सारे दरबारी राजा और मंत्री की प्रशंसा में लगे थे।
प्रोहित ने देखा तेनालीराम मुंह पर हाथ रख के चुपचाप बैठा था देखते ही उसने सम्राट कृष्णदेव राय से कहा महाराज तेनालीराम को शायद विजय नगर की प्रशंसा पसंद नहीं आई ऐसे चुपचाप बैठे हैं जैसे सांप सूंघ गया हो हमारी बातें सुनकर सम्राट कृष्णदेव राय ने एक नजर तेनालीराम पर डाली क्यों तेनालीराम राम क्या तुम्हें विजयनगर का सजा सवरा रूप पसंद नहीं आया।
पसंद आया महाराज तेनालीराम उठते हुए बोला मगर सम्राट तमक कर बोले मगर क्या तेनालीराम चुप रहा तो सम्राट को क्रोध और भड़क उठा यदि तुमने इस प्रश्न का उत्तर तुरंत नहीं दिया तो तुम्हें दंड मिलेगा दरबारियों के मन में बिल्लियों उछलने लगे की आज फंसे तेनालीराम।
तभी तेनालीराम ने धीरे से कहा मगर महाराज एक कमी रह गई कमी सम्राट कृष्णदेव राय ने मंत्री की ओर देखते हुए तेनालीराम से पूछा कौन सी कमी हमारी दृष्टि में तो कोई कमी नहीं रही उस कमी को आपकी कृपया दृष्टि ही चाहिए अन्नदाता तेनालीराम ने कहा ठीक है सम्राट बोले हमें दिखाओ वह कमी कहां है कहते-कहते वह उठ खड़े हुए मगर याद रखना यदि तुम कमी ना दिखा सके तो प्राण दंड मिलेगा तेनालीराम राजा और दरबारियों को सात लेकर कमी दिखाने चल पड़ा।
सभी चकित थे की विजय नगर में ऐसी कौन सी कमी रह गई जिसके कारण तेनालीराम प्राण दंड तक भोगने के लिए तैयार हैं अक्सर ऐसा होता था कि जब सम्राट कृष्णदेव राय नगर भ्रमण पर जाते तो सड़कों के दोनों और प्रजा की भारी भीड़ उनका जय जयकार करती थी उन पर फूलों की वर्षा करती थी किंतु इस बार ना इतनी जाति पर जाति प्रजा थी।
ना उसमें इतना उत्साह सम्राट को बड़ा अजीब सा लगा उन्होंने प्रसन्न भरी दृष्टि से तेनाली राम की और देखा तेनालीराम बोला अन्नदाता आप स्वयं प्रजा के बीच हैं जो पूछना है उसी से पूछिए सम्राट ने रथ रुकवा कर पूछताछ की विजय नगर को सुंदर बनाने के लिए मंत्री ने कर लगा दिए हैं आम नागरिक को दो समय की रोटी जुटाना कठिन हो गया है सम्राट कृष्णदेव राय को धक्का सा लगा कुछ दूर कारीगरों के डेरे थे।
वह वहां गए तो और दुखी हो गए चारों ओर गंदगी ने पानी का सही प्रबंधन न होने से पानी की निकासी नहीं होने से गंदगी का ढेर लग गया था । सम्राट कृष्णदेव राय वहां अधिक समय ना ठहर सके दरबार में वापस आकर घोषणा की सारे काम बंद कर दिए जाएं बड़े कर वापस ले लिए जाए ना बना हो तो यदि प्रजा का जीवन ही सुंदर ना बना हो तो विजयनगर की सुंदरता का क्या महत्व उसी दिन से उनकी दृष्टि में तेनालीराम का महत्व और बढ़ गया मंत्री की कारगुजारी तो उन्हें पसंद आई ही न थी।
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