तोता बहोत ही प्यारा पक्षी होता है। उन्हें अक्षर हम कही कही पे घरो में पिंजरे में देखा जाता है वह बहोत ही सुन्दर होता है और वो बोलता भी है मनुष्य जैसा, यहाँ पे हमने तोते की story of parrot in hindi है वो आपको जरुर पसंद आएगी, धन्यवाद…
तोते की कहानी तोते की कहानी,
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संगत की असर एक कहानी (SANGAT KA ASR EK KAHANI)
एक बार एक नगर में पशु-पक्षियों का मेला लगा हुआ था। मेले में कई तरह के पशु-पक्षी बिकने के लिए आए हुए थे।
एक आदमी के पास दो तोते थे। वह आवाज लगा रहा था, “एक तोता दो हजार रुपये का और दूसरा पांच सौ रुपये का। जो पांच सौ रुपये वाला ले जाना चाहे ले जाए, लेकिन दो हजार रुपये वाला तोता लेने वाले को दूसरा तोता भी लेना पड़ेगा।”
तभी उस नगर का राजा वहां आया। उसने भी तोते वाले की आवाज सुनी। उसे हैरानी हुई और वह तोते वाले के पास जाकर पूछने लगा, “भाई तोते वाले! इन दोनों तोतों के मूल्य में इतना अंतर क्यों है?”
वह आदमी बोला, “आप इन दोनों तोतों को खरीद लें। आपको अंतर भी पता चल जाएगा।”
राजा ने दोनों तोते खरीद लिए। रात को सोते समय राजा ने दो हजार रुपये वाले तोते को अपने कक्ष में टांग दिया।
जब भोर हुई और सूर्य उदय हुआ तो तोते ने ‘उठो, मिठू नमस्कार करता है।’ की आवाज लगाकर राजा को उठाया। तत्पश्चात् उसने कुछ भजन सुनाए। यह देख राजा बहुत प्रसन्न हुआ।
अगली रात राजा ने पांच सो रुपये वाले तोते को अपने कक्ष में टांग दिया। सुबह होते ही वह तोता गाली-गलौज करने लगा और अपशब्द बोलने लगा।
यह सुनकर राजा को गुस्सा आ गया और उसने सिपाही को बुलाकर आदेश दिया कि इस तोते को मार डालो।
मिठ्ठू तोता, story of parrot in hindi
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कक्ष के बाहर ही पहले वाला तोता टंगा हुआ था। जैसे ही उसने यह बात सुनी तो वह चिल्लाने लगा। राजा ने उस पिंजरे को भी अंदर मंगवा लिया और उस तोते से पूछा, “क्या बात है? परेशान क्यों हो मिठू?”
“महाराज! यह तोता मेरा भाई है। हम दोनों साथ ही पकड़े गए थे। मुझे एक संत ने पाला था और इसे एक शराबी-जुआरी ने। यह सब संगत का असर है। तभी तो यह गाली दे रहा है। कृपया इसे क्षमा कर दें।”
राजा ने उस तोते की बात मान ली और उसे मारने के बजाय उड़ा दिया।
कथा-सार
तोता बेचने वाला चतुर था। तभी उसने तोतों की कीमत इस प्रकार निर्धारित की कि सुनने वाले हैरान रह जाएं। संगत का असर कितना प्रबल होता है। यह भी पता चलता है और भातृ प्रेम क्या होता है इसकी भी एक झलक मिल जाती है इस कहानी में।
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तोते का रखवाला- तेनालीराम की कहानी
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एक सज्जन ने महाराज कृष्णदेव राय को एक सुन्दर तोता भेंट किया वो तोता तो तब यानि पहले बड़ी मीठी और सुंदर सुंदर बातें किया करता था। वो सुन्दर तोता लोगों के पूछे गए प्रश्नों का उत्तर भी देता था। महाराजा को वो तोता बहुत पसंद आया उन्होंने उस तोते को पालने और उसकी सुरक्षा का भार अपने एक विश्वाश पात्र नौकर को देते हुए कहा,” अब से इस तोते की सारी जिम्मेदारी अब से तुम्हारी है।“ इसका पूरा ध्यान रखना तोता मुझे बहुत प्यारा है।
इसे कुछ हो गया तो याद रखो तुम्हारे साथ में यह ठीक नहीं होगा। अगर मुझे तुमने या किसी और ने आकर कभी यह समाचार दिया कि तोता मर गया है।
तो तुम्हें अपने प्राणों से हाथ धोने पड़ेंगे। इसलिए नौकर ने तोते की खूब देखभाल की। पूरी जिम्मेवारी से उसकी सुख सुविधा का ध्यान रखा।
पर एक दिन तोता बेचारा मर गया।
तोते की कहानी तोता की कहानी
बेचारा नौकर बहुत डर गया। थर थर कांपने लगा उसे पता था की अब उसकी जान की खैर नहीं। वो जानता था यदि तोते की मृत्यु की सुचना सुनते ही महाराज क्रोध में उसे मृत्युदंड जरूर दे देंगे।
नौकर काफी देर तक सोचता रहा फिर उसे एक ही रास्ता दिखाई दिया। उसे मालूम था तेनालीराम के अलावा और कोई उसकी जिंदगी की रक्षा नहीं कर पायेगा। वह दौड़ा दौड़ा तेनालीराम के घर पहुंचा और उन्हें सारी बात बताई। तेनालीराम ने कहा बात सच में बहुत ही ज्यादा गंभीर है। वो तोता तो महाराज को जान से भी बहुत प्यारा था। पर तुम चिंता मत करो। में कुछ उपाय तो मैं निकाल ही लूंगा। बस तुम चुप रहना तोते के बारे में राजा से कुछ भी कहने की जरूरत नहीं है।
तेनालीराम की सुझबुझ
मैं स्वयं संभाल लूंगा तेनालीराम महाराज के पास पहुंचा और घबराया हुआ बोला! महाराज मैं आपका तोता वह तोता, तोता क्या हुआ तोते को, तुम इतने घबराए हुए क्यों हो तेनालीराम बात क्या है।
महाराज ने पूछा महाराज आपका ये तोता बोलता ही नहीं बिल्कुल चुप हो गया है। ना कुछ खाता है, ना पीता है, बस सूनी आंखों से ऊपर की ओर देखता रहता है। उसकी आंखें तक खुलती नहीं। तेनालीराम ने कहा, महाराज तेनालीराम बात सुनकर बहुत हैरान रह गए। स्वयं तोते के पिंजरे के पास पहुंचे उन्होंने देखा कि तोते के प्राण निकल चुके थे।
घबराते हुए वह तेनालीराम से बोले सीधी तरह से यही क्यों नहीं कह दिया कि तोता मर गया। तुमने सारी महाभारत सुना दी असली बात नहीं कही।
तेनालीराम बोलै महाराज आप ने तो कहा था अगर ये तोते के मरने की सुचना यदि आपको दिया गया तो तोते के रखवाले को मोत का दंड दिया जाएगा। यदि मैंने आपको ये सुचना दे दी होती तो बेचारा नौकर कब का मौत के घाट उतार दिया जाता।
अब तो महाराजा कृष्णदेव राय जी इस बात से बहुत ही अधिक प्रसन्न थे कि तेनालीराम ने उन्हें एक निर्दोष व्यक्ति की हत्या करने से बचा दिया।
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